“वंशावली लेखन एवं भारतीय परम्परा अध्ययन शोध पीठ वंशावली लेखन हर जाति, हर वर्ग के घर-घर जाकर उसके सगे-संबन्धियों की उपस्थिति में संक्षेप में सृष्टि की रचना से लेकर उसके पूर्वजो के समय की इतिहास की ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक घटनाओ का वर्णन करते हुए उस व्यक्ति का वंशक्रम अपनी हस्तलिखित पोथियों में आलेखित करना।
भारतीय वंशावली लेखन परम्परा व्यक्ति के इतिहास को शुद्ध रूप से सहज कर रखने की प्रणाली।
समाज के प्रत्येक वर्ग या वर्ग का वैज्ञानिक पद्वति का उपयोग करते हुये सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, ऐतिहासिक व विविध तथ्यो का समावेश पोथियो या बहियो के रूप मे इन्द्राज कर भावी पीढी के लिए सुरक्षित रखना
मानव इतिहास के विभिन्न पक्षो मूल वर्ण, कुल, जाति उद्भव, पूर्वत आदि की जानकारी हमें इन्ही वंशावलीयो के माध्यम से होती है।
प्रस्तावित कार्य एवं गतिविधियां
वंशावलियों विभिन्न आयामों का अध्ययन व अनुसंधान।
पारम्परिक वंशावलियों का संरक्षण - संवर्द्धन।
वंश लेखकों के निवास स्थलों का भ्रमण करना।
राष्ट्रीय व अन्तरष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठियों का आयोजन
कार्यशालाओं का आयोजन।
विशिष्ट व्याख्यानों का आयोजन।
प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन।
पुस्तकालय की स्थापना व उसे शोध अनुसंधान के रूप में विकसित करना।
पाण्डुलिपियो का एक स्थान पर संग्रह व उनका डिजिटलाइजेशन।
वंशावलियों एवं परम्पराओं के विविध आयामों पर शोध एवं प्रकाशन।
वंशावलियों के वैज्ञानिक रूप से संरक्षण, उन्नत स्याही पर शोध इत्यादि सम्बंधित कार्यों हेतु प्रयोगशाला की स्थापना।
इस एतिहासिक धरोवर के प्रति जन जागृति पैदा करना व उसे व्यापकता देना।
समान उद्देश्यों पर कार्य करने वाले सरकारी व गैरसरकारी संस्थानों के साथ मिलकर विभिन्न अध्ययन, शोध, परियोजनाओं, प्रकाशन इत्यादि पर कार्य करना।